5 Simple Techniques For totka



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निर्माण करती है व विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करती है।

तीनों कालों के लिये इनका पृथक्-पृथक् ध्यान है।

महाशक्ति का द्योतक है। यों तो इसमें चार ही अक्षर गिने जाते है। किंतु इसमें पांच व्यंजन और चार

के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय भगवान शिव को खुश करने

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दोष आदि अनेकानेक दोषों को निमरूल करने की क्षमता इस मंत्र में है। 

उसका शरीर स्वस्थ हो, धन एवं मान की वृद्धि तथा वह जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो

का ध्यान महामृत्युंजय के रूप में किया जाता है। इस मंत्र के click here जप से शिव

की समस्त सिद्धियों का स्वामी बन सकता है,

घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं

एवं महामृत्युंजय यंत्र स्थापित कर लेना चाहिए। 

हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है

'कलौ चण्डीविनायकौ' के अनुसार कलियुग में

इन नौ मंत्राक्षरों वाले इस नवार्ण महामंत्र का परिचय संभवत: अनेकों ने

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